पाक कला से सम्बंधित कुछ अजीबो गरीब किस्से

हम आज आपके लिए खाद्य पदार्थो से सम्बंधित कुछ ऐसे अजीबो गरीब किस्से लाए है, जो शायद ही आपने कही सुने होंगे| तो आइये जानते है इन रोचक किस्सों के बारे में|

 

1. माइक्रोवेब में अंगूर गर्म करने पर चिंगारी निकलना

हम में से बेहद कम लोग यह बात जानते होंगे कि माइक्रोवेब को खराब करने के लिए बस एक अंगूर ही काफी है। क्यों जानकर आपको भी ताज्जुब हुआ ना? ये सच है कि यदि आप माइक्रोवेब में एक अंगूर को बेक करते हैं तो वह विस्फोट हो सकता है। दरअसल, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अंगूर के दो टुकड़े दर्पणनुमा केविटी (गड्ढा) बनाते हैं जिनका केन्द्र दोनों टुकड़ों का जुड़ा हुआ हिस्सा (छिलका) होता है। ये केविटी माइक्रोवेब विकिरण को अवशोषित करती है और केंद्र पर फोकस कर देती है। इसके कारण केन्द्र बहुत गर्म हो जाता है। तब अंगूर के छिलके में मौजूद सोडियम और पोटेशियम के परमाणु आवेशित हो जाते हैं और आवेशित गैस (प्लाज़्मा) का निर्माण करती है; जिससे चमक पैदा होती है और विस्फोट होता है। वास्तव में अंगूर का साइज़ और पर्याप्त नमी विकिरण को अवशोषित करने में भूमिका निभाते हैं।

 

2. क्रैकर्स और चिप्स दांतों के लिए कैंडी की तुलना में ज्यादा हानिकारक

क्या आप जानते हैं कि क्रैकर्स और चिप्स आपके दांतों पर कैंडी की तुलना में ज्यादा तेजी से कैविटी उत्पन्न करता है| अमेरिकन अकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक डेंटिस्ट्री के अनुसार, स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ जैसे क्रैकर्स और चिप्स आपके दांतों को कैंडी के मुकाबले ज्यादा खराब कर सकते हैं। खाने के बाद ये आपके दांतों में चिपकते हैं।

 

3. सफेद चॉकलेट

सफेद चॉकलेट नाम होने के बाद भी सफेद चॉकलेट में कोई भी वास्तविक चॉकलेट तत्व नहीं होता है। सफेद चॉकलेट चीनी, दूध उत्पादों, वेनिला, लेसिथिन और कोको बटर के मिश्रण से बना होता है।

 

4. शहद की गुणवत्ता

यह एक तथ्य है कि शहद एकमात्र ऐसा खाद्य पदार्थ है जो कभी ख़राब नहीं होता है| जो की मधुमक्खी की उल्टी से बनता है|

 

5. वड़ा पाव की खोज

वड़ा पाव की खोज एक वर्कर ने की थी, उनका नाम था अशोक वैद्य| पहले वो सिर्फ़ बेसन और आलू से बना वड़ा बेचते थे, और ये वड़ा अधिकतर मिल में काम करने वाले कर्मचारी ख़रीदा करते थे| उन कर्मचारियों के पास वक़्त काम होता था और उनको कम पैसो में भरपेट खाना भी चाहिए होता था| यह बात ध्यान में रखते हुए वैद्य जी ने कुछ नया करने के बारे में सोचा| उन्होंने पास की दुकान से पाव लिए और उसके बीच में आलू वड़ा को रख दिया|  इसके साथ सर्व करने के लिए उन्होंने मिर्च, लहसुन, नारियल, और मुंगफली से बनी एक तीखी चटनी भी तैयार की| इस नई डिश वड़ा पाव का स्वाद लोगों को बहुत पसंद आया और  इसके बाद तो पूरी मुंबई में ये फ़ेमस हो गया|

 

6. सैन्डविच (Sandwich) शब्द कैसे बना?

सैंडविच की उत्पत्ति दो हजार साल पहले हुई। फोर्थ अर्ल ऑफ सैंडविच, जॉन मोंटेग्यू कुछ ऐसा खाना चाहते थे जिससे कि उन्हें गेम खेलते समय बीच में उठकर न जाना पड़े और इसके चलते 1762 में एक व्यंजन बनाया गया, जिसका नाम सैंडविच पड़ा। सैंडविच को एक हाथ से ही खाया जाना था, लेकिन अब उस सैंडविच के बारे में सोचें जो हम खा रहे हैं। क्या आप चिकन टिक्का सैंडविच को एक हाथ से खा सकते हैं? हमने सैंडविच के आकार को बहुत हद तक बदल दिया है!

 

7. क्या आपको भी हवाई जहाज का भोजन पसंद नहीं है?

हवाई जहाज में मिलने वाला खाना स्वादिष्ट नहीं लगता, क्योंकि ऊँचाई पर जाकर हमारी सूंघने और स्वाद की क्षमता में 20% से 30% कमी आ जाती है|

 

8. टमेटो केचप एक दवाई

जी हाँ! सन 1800 में टमेटो केचअप को दवाई के रूप में मेडिकल स्टोर में बेचा जाता था। दरअसल, ये डायरिया की दवा के रूप में उस समय बिकती थी।

 

9. आगरे के पेठे का इतिहास

यू. पी. में एक जिला, एक उत्पाद के तहत आगरा से चयनित प्रसिद्ध पेठा समय के साथ रंग और स्वाद में बदलता जा रहा है। मुगल काल में औषधि के तौर पर बना पेठा, आज देश-विदेश में लोगों की जुबां पर मिठास घोल रहा है। सरकार ने इसे जिले के उत्पाद के तौर पर चयनित कर इसकी मिठास को दो गुना कर दिया है।

पेठा कारोबारियों के अनुसार 1940 से पूर्व पेठा आयुर्वेदिक औषधि के रूप में तैयार किया जाता था। इसका उपयोग वैद्य अंलावित्त, रक्त विकार, बात प्रकोप और जिगर कि बीमारी के लिए करते थे। इसे पेठा कुम्हड़ा (कद्दू) नाम के फल से बनाया जाता है, जो कि औषधीय गुणों से भरपूर होता है।

शुरूआत में इसे दवाई के रूप में प्रयोग किया जाता था तो इसमें मिठास नहीं होती थी, लेकिन 1945 के बाद इसके स्वाद में बदलाव किया गया। इसको गोदकर और खांड के स्थान पर चीनी और सुगंध का प्रयोग करते हुए सूखा पेठा के साथ रसीला पेठा बनाया जाने लगा।

 

10. हींग कैसे बनती है?

यह बात ज्यादातर लोग नहीं जानते, यहाँ तक कि जो अपने खाने में हींग का बहुतायत से प्रयोग करते हैं वह भी इसके बारे में ज्यादा नहीं जानते।

हींग किसी फैक्ट्री में नहीं बनता बल्कि सौंफ़ की प्रजाति के एक ईरान मूल के पौधे से प्राप्त होता है। हींग का पौधा एक बारहमासी शाक है। इस पौधे के विभिन्न वर्गों के भूमिगत प्रकन्दों व ऊपरी जडों से रिसनेवाले शुष्क वानस्पतिक दूध को हींग के रूप में प्रयोग किया जाता है।

हींग न केवल भारतीय खाने की शान है अपितु आयुर्वेद में हींग का बहुत महत्व है| यह कई बिमारियों के उपचार में भी काम आती है जैसे पाचन सम्बन्धी समस्याएं, दर्द निवारक के रूप में इत्यादि ।

 

11. कैसे बनी पाव भाजी?

वड़ा पाव की तरह पाव भाजी भी मुंबई की ही देन है। माना जाता है कि ब्रिटिश काल में जब मुंबई में कॉटन मिलें चलती थीं, उस समय पाव भाजी का शोध हुआ। उस दौरान कर्मचारियों को देर रात तक मिलों में काम करना पड़ता था। लेकिन उस समय रात को खाना बड़ी मुश्किल से मिलता था। उसी दौरान खाना बेचने वाले एक स्थानीय वेंडर के दिमाग में एक विचार आया। दिन में अपने रेगुलर बचे हुए खाने से जो भी सामग्री जैसे आलू, टमाटर, प्याज और अन्य सब्जियां बच जाती थी वे  उन्हें मिक्स कर उसकी भाजी बना देते थे और उसे रोटियों या चावल के साथ बेच देते थे| किसी-किसी दिन जब रोटियां या चावल नहीं बचते थे तब  वह भाजी को पाव के साथ परोस देते थे। जल्दी ही भाजी के साथ पाव का स्वाद लोगों को पसंद आने लगा। धीरे-धीरे यह डिश आज की पाव भाजी के तौर पर प्रसिद्ध हो गई| और आज कल तो तैयार पावभाजी मसाला भी बाज़ार में उपलब्ध है|

 

हम आशा करते हैं की आपको यह अजीबो गरीब और रोचक जानकारियां बहुत पसंद आई होगी|अगर आप भी ऐसे ही कुछ रोचक तथ्य जानते हैं तो हमें निचे कमेंट सेक्शन में कमेंट कर बताएं|

 

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